गुजरात विधानसभा ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर राज्य की भारतीय जनता पार्टी (BJP)नीत सरकार से स्कूलों में भगवद्गीता पढ़ाने के शिक्षा विभाग के हालिया फैसले के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए आवश्यक कदम उठाने का अनुरोध किया. आम आदमी पार्टी (AAP) ने प्रस्ताव का स्वागत किया और इसे अपना समर्थन दिया, वहीं कांग्रेस सदस्यों ने शुरू में अपना विरोध दर्ज कराया, लेकिन बाद में मतदान के दौरान इसका समर्थन किया, जिसके बाद सदन में सरकार का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हो गया.
पिछले साल दिसंबर में, राज्य शिक्षा विभाग ने घोषणा की थी कि भगवद्गीता के आदर्शों और मूल्यों को अगले शैक्षणिक वर्ष से कक्षा छठी से 12वीं तक के स्कूलों में पढ़ाया जाएगा. यह प्रस्ताव शिक्षा राज्य मंत्री प्रफुल्ल पंशेरिया ने सदन में पेश किया. पंशेरिया ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 छात्रों में भारत की समृद्ध और विविध संस्कृति और ज्ञान प्रणालियों तथा परंपराओं के प्रति गर्व और जुड़ाव की भावना पैदा करने पर जोर देती है.
पंशेरिया ने कहा कि कक्षा छठी से 8वीं तक, इसे सर्वांगी शिक्षण विषय की पाठ्यपुस्तक में कहानी और पाठ के रूप में पेश किया जाएगा. उन्होंने कहा कि कक्षा 9वीं से 12वीं तक कहानियों और पाठ के रूप में भगवद्गीता की शिक्षाओं को पहली भाषा पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा. प्रस्ताव पर कांग्रेस विधायक किरीट पटेल ने आरोप लगाया कि बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए यह प्रस्ताव लाई है. कांग्रेस विधायक दल के नेता अमित चावड़ा ने कहा कि उनकी पार्टी इस प्रस्ताव के खिलाफ है क्योंकि बीजेपी नीत सरकार इसे प्रचार पाने के लिए लेकर आई है.
इस बीच, विधानसभा को सूचित किया गया कि राज्य में 5.70 लाख से अधिक बच्चे कुपोषित हैं. प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस विधायकों द्वारा उठाए गए सवालों के जवाब में महिला एवं बाल विकास मंत्री भानुबेन बाबरिया ने बताया कि राज्य में 5.70 लाख कुपोषित बच्चों में से लगभग 4.38 लाख बच्चे कम वजन श्रेणी के हैं, जबकि 1.31 लाख बच्चे ‘गंभीर रूप से कम वजन’ की श्रेणी में आते हैं. बाबरिया ने 2023 के अंत तक का डेटा देते हुए लिखित उत्तर में कहा कि अहमदाबाद के अत्यधिक शहरीकृत जिले में कुपोषित बच्चों की संख्या सबसे अधिक (56,941) है, इसके बाद आदिवासी बहुल दाहोद (51,321), बनासकांठा (48,866), पंचमहल (31,512), खेड़ा (28,800), सूरत (26,682) और भावनगर (26,128) हैं.
मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार कुपोषण दूर करने के लिए कई कदम उठा रही है. तीन से छह वर्ष की आयु के बच्चों को आंगनवाड़ियों में गर्म नाश्ता और दोपहर का भोजन दिया जाता है. बाबरिया ने कहा कि इसके अलावा, बच्चों को सप्ताह में दो बार फल दिए जाते हैं.
