फेमस यूट्यूबर और स्टैंड-अप कॉमेडियन समय रैना पहले भी अपने विवादित कंटेंट को लेकर चर्चा में रह चुके हैं। पैरेंट्स पर भद्दा मजाक करने के मामले में पहले ही उनके खिलाफ सात धाराओं में केस दर्ज हो चुके हैं। अब एक पुराने मामले में दिव्यांग लोगों पर असंवेदनशील टिप्पणी को लेकर समय फिर कानूनी पचड़े में फंस गए हैं। संस्था ‘क्योर एसएमए’ ने उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें कोर्ट ने हालिया सुनवाई में समय रैना को बिना शर्त माफी मांगने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उन्हें अपने यूट्यूब और अन्य चैनलों पर सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी होगी। इस मामले में विपुल गोयल, बलराज घई, निशांत तंवर और सोनाली ठक्कर के नाम भी शामिल हैं। कोर्ट ने सरकार से दिव्यांगों की गरिमा की रक्षा के लिए सोशल मीडिया गाइडलाइन्स बनाने को भी कहा है।
जस्टिस सूर्यकांत ने सुनवाई के दौरान क्या कहा ?
जस्टिस सूर्यकांत ने सुनवाई के दौरान कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ जिम्मेदारी भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि आज बात दिव्यांगों की है, लेकिन कल यह महिलाओं, वरिष्ठ नागरिकों या बच्चों पर भी हो सकती है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगर यूट्यूबर्स इस तरह की टिप्पणियां दोहराते हैं तो अगली बार उन्हें बताना होगा कि कितना जुर्माना लगाया जाए। कोर्ट ने पहले भी इस मामले में टिप्पणी करते हुए कहा था कि फ्री स्पीच के नाम पर किसी समुदाय को अपमानित करने की मानसिकता को स्वीकार नहीं किया जा सकता। ‘क्योर एसएमए’ संस्था की शिकायत पर ही यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था। अब समय रैना को बिना शर्त सार्वजनिक माफी देनी होगी, जो एक मिसाल बन सकती है।