Delhi High Court : दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई है कि अदालत द्वारा आदेश पारित करने के बाद भी सरकार वनों की कटाई पर रोक लगाने में ढिलाई बरत रही है और वर्तमान पीढ़ी भी वृक्षों के संरक्षण को लेकर उदासीन है। यही हाल रहा तो वह दिन दूर नहीं जब दिल्ली एक “बंजर रेगिस्तान” बन सकती है। न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला (Tushar Rao Gedela) ने दिल्ली में वनों की सुरक्षा पर निर्देश मांगने वाली याचिकाओं के एक समूह पर विचार करते हुए यह टिप्पणी की थी।
30 मई, 2024 को शहर के रिकॉर्ड तापमान 52.3 डिग्री सेल्सियस पर चिंता व्यक्त करते हुए न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला (Tushar Rao Gedela) ने दिल्ली में वनों की सुरक्षा की फौरी ज़रूरत पर जोर दिया। उन्होंने वनों की कटाई से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए नई “विशेष अधिकार प्राप्त समिति” को न्यायालय के निर्देशों पर तत्काल कार्रवाई का निर्देश दिया।
अप्रैल में दिल्ली में वन संरक्षण और प्रबंधन के लिए आंतरिक विभाग समिति नामक एक समिति का गठन किया गया था और न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) नजमी वजीरी (Najmi Vaziri) को उच्च न्यायालय द्वारा अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। सुनवाई के दौरान, एमिकस क्यूरी एडवोकेट गौतम नारायण (Gautam Narayan) ने कहा कि एक बार जब यह न्यायालय आदेश पारित कर देता है, तो कुशल प्रशासन और विद्वान अध्यक्ष पर जिम्मेदारियों के निर्वहन के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे और अन्य सुविधाओं का जल्द से जल्द पालन किया जाना चाहिए और लालफीताशाही में नहीं उलझना चाहिए। न्यायालय ने एमिकस क्यूरी द्वारा प्रस्तुत किए गए तर्कों से सहमति व्यक्त करते हुए कहा कि विशेष अधिकार प्राप्त समिति’ एक ऐसी समिति है, जिसके पास स्वतंत्र शक्तियां हैं और वह उसी के अनुसार अपनी जिम्मेदारियों का पालन करे। समिति द्वारा निर्देश की अनुपालन रिपोर्ट 10 जुलाई तक मांगी गई है। मुख्य मामले की सुनवाई 29 जुलाई को तय की गई है।
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