Supreme Court Decision: अनुसूचित जनजाति (ST) और अनुसूचित जाति (SC) के आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट की सात सदस्यीय संविधानपीठ ने अपने फैसले में राज्य सरकारों को एसटी और एससी में सब केटेगरी बनाकर अतिपिछड़े लोगों को आरक्षण देने का निर्देश दिया है। यह व्यवस्था ओबीसी कोटे में लागू क्रीमी लेयर वाले फार्मूले पर ही बेस्ड है।सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ सहित पीठ के 8 जज इस फैसले के पक्ष में रहे, जबकि एक मात्र जस्टिस बेला त्रिवेदी ने इस फैसले पर असहमति जाहिर की।
देश की सर्वोच्च न्यायालय ने अपने इस बैठे फैसले में कहा है कि इस सब केटेगरी को बनाने का आधार यह है कि एक बड़े समूह में से कई समूहों को अधिक भेदभाव का सामना करना पड़ता है इसलिए उन्हें न्याय मिले। जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि पिछड़े समुदायों को प्राथमिकता देना राज्य का कर्तव्य है। एससी-एसटी के केवल कुछ लोग ही आरक्षण का लाभ उठा रहे हैं।
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सुप्रीम कोर्ट ने आज एक फैसला सुनाया जिसमें sc st के लिए creamlyer व्यवस्था लागू करने के लिए कहा है। इस फैसले के बाद अमीर sc st का एकाधिकार खत्म हो गया है।जो असल में गरीब है उसे आरक्षण मिलना चाहिए ! #Reservation #SupremeCourt #SCST pic.twitter.com/qkzVp1rYPj
— Akshay sharma(EWS FAMILY) (@Akshayshar30) August 1, 2024
जमीनी हकीकत को अनदेखा नहीं किया जा सकता है कि दोनों वर्गों के भीतर ऐसी कुछ श्रेणियां हैं जिन्हें वर्षो से उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है। बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की पीठ ने 2004 में कहा था कि आरक्षण के अंदर आरक्षण देने का राज्यों के पास अधिकार नहीं है। लेकिन आज कोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया है।
