CBI Fraud Case: हाल ही में सीबीआई ने 50 लाख रुपए के एक बैंक फ्रॉड मामले में एक शातिर जालसाज को दबोचा है। पिछले 20 साल से फरार ये जालसाज तमिलनाडु के एक आश्रम में साधु बनकर छिपा हुआ था। उसने हैदराबाद स्थित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में काम करते हुए लाखों की चपत लगाई थी। इसके बाद से वह लगातार अपनी लोकेशन बदलता रहा और पुलिस समेत जांच एजेंसियों को चमका देता रहा। टाइम्स ऑफ इंडिया, हैदराबाद के हवाले से प्राप्त ख़बर के अनुसार सीबीआई ने तमिलनाडु के एक गांव से उस आरोपी को पकड़ा है। रिपोर्ट के मुताबिक, आरोपी का नाम वी चलापति राव है, जो 2002 में हैदराबाद की चंदुलाल बरादारी एसबीआई ब्रांच में बतौर कंप्यूटर ऑपरेटर काम करता था।
A bank fraud accused, who had disappeared with Rs 50 lakh two decades ago and was declared dead by a local court, was arrested by the CBI after a lengthy and coordinated operation.
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— The Times Of India (@timesofindia) August 6, 2024
इसी दौरान उसने दस्तावेजों में हेराफेरी कर बैंक को 50 लाख रुपए की चपत लगाई थी। इसके लिए उसने इलेक्ट्रॉनिक दुकानों के जाली कोटेशन और अपने परिवार के सदस्यों और करीबी सहयोगियों के नाम पर नकली सैलरी सर्टिफिकेट बनाए थे। कुछ समय बाद धोखाधड़ी का खुलासा हुआ तो 2004 में चलापति राव हैदराबाद से गायब हो गया। उसकी पत्नी ने भी इस जालसाजी उसका साथ लिया। पत्नी ने हैदराबाद के कामाटीपुरा पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी कि चलापति लापता है। साथ ही कोर्ट में याचिका दायर की थी कि पति 7 साल से लापता है सो नियम के मुताबिक पति को मृत घोषित किया जाए।
इस बीच वी.चलापति राव ने अपना नाम बदलकर एम.विनीत कुमार रख लिया और तमिलनाडु के सलेम जिले में शिफ्ट हो गया। 2007 में उसने दूसरी शादी की और नया आधार कार्ड भी हासिल कर लिया। प्लान के मुताबिक उसकी पहली पत्नी ने सिविल में कोर्ट में अपने पति को मृत घोषित करने की याचिका लगाई वो मंजूर हो गई। इस तरह चलापति ने अपनी पुरानी पहचान को ही खत्म कर दिया। जब सीबीआई ने उसकी संपत्ति जब्त करने की कोशिश की तो पहली पत्नी हाईकोर्ट पहुंच गई और स्टे ऑर्डर हासिल कर लिया।
पर सीबीआई ने अपनी छान-बीन जारी रखी तथा अप्रैल 2013 में चलापति को भगोड़ा अपराधी घोषित कर दिया। 2014 इस बीच जांच एजेंसी को उसके सलेम में होने की भनक लगी। वहां चलपति राव उर्फ एम.विनीत तो नहीं मिला, मगर उसकी दूसरी पत्नी से पता चला कि वह लगातार पहली शादी से हुए बेटे के संपर्क में रहता था। फिर ठग बिना किसी को बताए सलेम छोड़कर भोपाल चला गया, जहां उसने लोन रिकवरी एजेंट के तौर पर काम किया।
फिर वहां से वह अचानक उत्तराखंड के रुद्रपुर चला गया, जहां उसने एक स्कूल में नौकरी की। जब सीबीआई की एक टीम रुद्रपुर पहुंची, पता चला कि चलापति राव 2016 में ही वहां से भी फरार हो चुका है। उसे पकड़ना सीबीआई के लिए चुनौती बन गई। सीबीआई के अधिकारियों ने बताया कि उसे पकड़ने के लिए गूगल के लॉ इन्फोर्समेंट टीम से मदद मांगी गई। तब तक जांच एजेंसी को उसके बदले नाम एम. विनीत कुमार और ई-मेल आईडी मिल चुका था। एजेंसी को मालूम हुआ कि चलापति औरंगाबाद के एक आश्रम में स्वामी विधितात्मानंद तीर्था के नाम से छिपा हुआ है।
दिसंबर 2021 में उसने आश्रम को भी करीब 70 लाख रुपए का चूना लगाकर छोड़ दिया और भरतपुर (राजस्थान) में रहने लगा। वहां से वह तिरुनेलवेली (तमिलनाडु) पहुंचा। आखिर में सीबीआई ने उसे तिरुनेलवेली के नरसिंगनल्लूर गांव से गिरफ्तार कर लिया जहां वो साधु बनकर रह रहा था। इस मामले में सीबीआई की लगातार मेहनत और प्रयासों के कारण आरोपी की गिरफ्तारी संभव हो सकी। आरोपी को हैदराबाद में सीबीआई मामलों के विशेष न्यायाधीश की अदालत में पेश करने के बाद 16 अगस्त तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।