Jaipur Police Brutality: हाल ही में जयपुर के शिप्रा पथ थाने की पुलिस ने एक हुक्का बार की छापामारी में कुछ लोगों को अरेस्ट किया था, जिसमें एक आर्मी का जवान भी शामिल था खबर मिलते ही जम्मू-कश्मीर में तैनात उसका एक दूसरा साथी, सेना का कमांडो अरविंद सिंह जब पुलिस थाने पहुंचा तो उसके साथ भी बुरी तरह मारपीट की गई। आरोप है कि वहां पर एसआई बन्ना लाल और तीन – चार अन्य पुलिसवालों ने अरविंद को नग्न कर पीटा और सेना के लिए अपशब्द कहे। उससे कहलवाया कि ” बोल… पुलिस … सेना की बाप है।” बाद में अरविंद को ही शांति भंग के आरोप में धर लिया गया। हंगामा मचाने पर सैनिक कल्याण मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ थाने पहुंचे और पुलिस को जमकर फटकार लगाई। राठौड़ के एक्टिव होने के बाद पुलिस सब इंस्पेक्टर मन्नालाल और तीन कॉन्स्टेबल को सस्पेंड कर दिया गया है और उनके खिलाफ जांच के आदेश भी दिए गए है। लेकिन जयपुर की इस घटना के बाद ये सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या पुलिस के पास फौज के जवान को गिरफ्तार करने का अधिकार है?
राजस्थान : J&K में तैनात सेना के कमांडो अरविंद को जयपुर पुलिस ने निर्वस्त्र करके डंडे से पीटा। ये भी कहा कि पुलिस, भारतीय सेना की बाप है। शिकायत पर मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ खुद थाने पहुंच गए। ACP को फटकार लगाई। कमांडो अपने परिचित फौजी के केस की जानकारी लेने थाने गए थे। pic.twitter.com/APcxFqd8vS
— Sachin Gupta (@SachinGuptaUP) August 12, 2024
धारा 45 के अनुसार, आर्मी के किसी भी सदस्य को उसके द्वारा अपने कर्तव्यों के पालन में किए गए या किए जाने के किसी कार्य के लिए केंद्र सरकार की सहमति के बिना पुलिस गिरफ्तार नहीं कर सकती है। अन्य मामलों में जैसे रेप, मर्डर और किडनैंपिंग के मामले में पुलिस सैन्य जवान की गिरफ्तारी कर सकती है, लेकिन उसे तत्काल गिरफ्तारी के बारे में उसके कमांडिंग ऑफिसर को सूचित करना आवश्यक होता है। पुलिस के पास किसी भी आर्मी के जवान को हथकड़ी पहनाने का अधिकार नहीं है।
अगर पुलिस आर्मी के जवान को गिरफ्तार करती है तो उसे 2 घंटे से ज्यादा जेल में नहीं रख सकती है। उस पर कार्रवाई करने के लिए सेना के मेजर जनरल को सूचित कर उसकी अनुमति लेनी होती है। अगर अनुमति नहीं मिलती तो जवान को आर्मी के हवाले करना होता है और फिर आर्मी उस जवान पर कार्रवाई करती है। सिर्फ सिविल मामले में ही आर्मी जवान से पूछताछ का हक होता है पुलिस के पास।