छत्रपति शिवाजी महाराज ने सन् 1659 में जिस बाघनख या बघनखा से अफजल खान की छाती चीर दी थी, वो अब अस्थाई रूप से ही सही, पर भारत आ चुका है। ब्रिटेन के विक्टोरिया और अल्बर्ट म्यूजियम से ये ऐतिहासिक धरोहर मुंबई लाई गई है। 19 जुलाई से अगले 7 माह तक इसे सतारा के छत्रपति शिवाजी म्यूजियम में पब्लिक के दर्शन के लिए रखा जायेगा। बताया जाता है कि ये बघनखा लंदन जेम्स ग्रांट डफ लेकर आया था और उसे ये बघनखा भारत में सतारा राज्य के पेशवा ने दिया था। दरअसल जेम्स ग्रांट डफ ईस्ट इंडिया कंपनी में सिविल सर्वेंट था और उसकी तैनाती भारत में, सतारा में हुई थी।
Photo | Wagh nakha (tiger’s claws) associated to Chatrapati Shivaji Maharaj killing General Afzal Khan are arriving in India, on lease from Albert Museum in London. Cultural minister of Maharashtra Sudhir Mungantiwar accepted the Wagha Nakha at the museum. pic.twitter.com/sycC4BFvtB
— MUMBAI NEWS (@Mumbaikhabar9) July 17, 2024
विक्टोरिया और अल्बर्ट म्यूजियम के बोर्ड में लिखा है कि शिवाजी का बघनखा ईडन के जेम्स ग्रांट डफ को तब दिया गया था, जब वह मराठों के पेशवा के प्रधानमंत्री के रूप में सातारा में रहता था। यह भी कहा जाता है कि मराठों के अंतिम पेशवा बाजीराव द्वितीय ने तीसरे अंग्रेज-मराठा युद्ध में हार के बाद जून 1818 में अंग्रेजों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। संभव है कि उन्होंने यह हथियार डफ को सौंप दिया हो
16 जुलाई को महाराष्ट्र के आबकारी मंत्री शंभुराज देसाई ने कहा था कि बघनखा को महाराष्ट्र लाया जाना एक प्रेरणादायक क्षण है। नख का सतारा में भव्य स्वागत किया जाएगा। इसे कड़ी सुरक्षा के बीच लाया गया है और बुलेटप्रूफ कवर में रखा गया है। बता दें कि देसाई सतारा के संरक्षक मंत्री भी हैं। देसाई ने बताया कि पहले लंदन के म्यूजियम ने एक साल के लिए बघनखा को भारत भेजने पर सहमति जताई थी, लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने ये अवधि 3 साल तक बढ़ाने के लिए राजी कर लिया।
महाराष्ट्र के संस्कृति मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने इस बात को खारिज किया कि बघनखा को लंदन से महाराष्ट्र लाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए गए हैं। उन्होंने बताया इसे भारत लाने में केवल 14 लाख 8 हजार रुपए खर्च हुए हैं।