राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर उच्च सदन में हुई चर्चा के दौरान अपने भाषण के कुछ अंशों को कार्यवाही से हटाए जाने पर बुधवार (7 फरवरी) को आपत्ति जताई. सभापति जगदीप धनखड़ ने बाद में दी गई व्यवस्था में आसन के इस कदम को जायज ठहराया.
राज्यसभा में इस मुद्दे को उठाते हुए मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि दो फरवरी को अपने भाषण के दौरान उन्होंने चंद मुद्दों को उठाया था, लेकिन भाषण के कई हिस्सों को कार्यवाही से हटा दिया गया है. उन्होंने इस पर आपत्ति जताते हुए सभापति से स्पष्टीकरण की मांग की. सभापति धनखड़ ने कहा कि वह बाद में उनकी आपत्तियों पर व्यवस्था देंगे.
कांग्रेस नेता खरगे ने कहा कि उन्होंने अपने संबोधन के दौरान एक मुख्यमंत्री की जाति संबंधी टिप्पणियों वाले ट्वीट का मुद्दा उठाया था, जबकि उन्होंने न तो किसी मुख्यमंत्री का नाम लिया और ना ही राज्य का नाम लिया. विपक्ष के नेता ने दावा किया कि अपने संबोधन के दौरान उन्होंने राज्यसभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन विषयक किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं किया.
मल्लिकार्जुन खरगे ने इस संबंध में सभापति को पत्र लिखकर अपनी आपत्ति जताई और सदन में भी इसका उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि सदन में नियम है कि किसी भी उच्च पद पर बैठे व्यक्ति के खिलाफ टिप्पणी करने के लिए पूर्व में नोटिस का प्रावधान है, लेकिन उनके मामले में इसकी जरूरत नहीं थी, क्योंकि जिस व्यक्ति के ट्वीट का उन्होंने उल्लेख किया था वह उच्च पद पर बैठे व्यक्ति की श्रेणी में नहीं आते हैं.
कांग्रेस नेता खरगे ने कहा कि कहा कि उन्होंने जो मुद्दा उठाया था वह तथ्यों पर आधारित था. उन्होंने कहा, ‘‘करीब दो पन्ने कार्यवाही से हटा दिए गए हैं, जो अंश सदन की कार्यवाही से हटाए गए हैं. उस पर मैं घोर आपत्ति जताता हूं और आपसे आग्रह करता हूं कि उन्हें कार्यवाही में पुन:स्थापित किया जाए.’’
उन्होंने कहा कि कार्यवाही से अंशों को हटाए जाने से कभी-कभी अर्थ का अनर्थ भी हो जाता है. खरगे ने अपने भाषण के दौरान इस्तेमाल किए गए शब्द विशेष को हटाए जाने पर भी आपत्ति जताई. इस पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि लोकसभा की ओर से जारी की गई असंसदीय शब्दों की सूची संबंधी पुस्तिका में उक्त शब्द को असंसदीय बताया गया है.
भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) सदस्य के केशव राव ने कहा कि जिस शब्द को असंसदीय बताया जा रहा है उस पर एक कानून भी बना है, ऐसे में यह असंसदीय कैसे हो सकता है. सभापति धनखड़ ने कहा कि वह असंसदीय शब्दों के लिए एक समिति बनाने पर विचार कर रहे हैं.
सभापति ने बाद में दी गयी व्यवस्था में कहा कि दो फरवरी को जब नेता प्रतिपक्ष खरगे अपना वक्तव्य दे रहे थे तो उन्होंने उसी समय तीन बार उनकी बात पर आपत्ति व्यक्त करते हुए कहा था कि यह सदन की कार्यवाही में नहीं जाएगा. उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि उन्होंने एक शब्द ऐसा प्रयुक्त किया जो असंसदीय था.