Hamare Baarah : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (13 जून) को बॉम्बे हाई कोर्ट में इसकी रिलीज को लेकर लंबित मामले के गुण-दोष के आधार पर निपटारे तक फिल्म “हमारे बारह” की स्क्रीनिंग को रद्द कर दिया। फिल्म 14 जून को रिलीज होने वाली थी। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की अगुवाई वाली अवकाश पीठ ने फिल्म की रिलीज को स्थगित करने का यह आदेश फौजिया शकील के प्रतिनिधित्व वाली अजहर बाशा तंबोली द्वारा दायर याचिका पर दिया, जिन्होंने आरोप लगाया कि “फिल्म का विषय, स्पष्ट दृश्य और संवाद न केवल पूरे मुस्लिम समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले, हानिकारक और अपमानजनक हैं, बल्कि इस प्रकृति के हैं कि यह समाज में मुसलमानों के खिलाफ नफरत भड़काने, सद्भाव, सार्वजनिक व्यवस्था आदि को भंग करने की पूरी संभावना है”। तंबोली ने फिल्म की रिलीज के खिलाफ 5 जून के अपने ही निषेधाज्ञा आदेश को वापस लेने के बॉम्बे उच्च न्यायालय के अंतरिम फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
सुप्रीम कोर्ट ने इस्लामोफोबिक फिल्म “हमारे बारह“ के रिलीज पर रोक लगाई. कोर्ट ने कहा – फिल्म का टीज़र बहुत आपत्तिजनक है. उच्च न्यायालय में दाखिल अर्जी में कहा गया है कि यह फिल्म इस्लाम की मान्यता के खिलाफ है और विवाहिता मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों को भी गलत ढंग से दिखाती है।… pic.twitter.com/vUWhjf2Xfh
— Demotic News (@DemoticNewsInd) June 13, 2024
सर्वोच्च न्यायालय ने इस पूरे मामले के गुण-दोष पर विचार करने से इनकार कर दिया, क्योंकि फिल्म की रिलीज को चुनौती देने वाली रिट याचिका अभी भी उच्च न्यायालय में लंबित है। सर्वोच्च न्यायालय ने निर्देश दिया, “मामले के तथ्यों और परिस्थितियों और विशेष रूप से इस तथ्य पर विचार करते हुए कि रिट याचिका अभी भी उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है और आदेश अंतरिम प्रकृति के हैं, हम वर्तमान याचिका का निपटारा करते हुए हाईकोर्ट से अनुरोध करते हैं कि वह लंबित रिट याचिका पर जल्द से जल्द निर्णय ले और जब तक हाईकोर्ट द्वारा उस याचिका का निपटारा नहीं हो जाता, तब तक सार्वजनिक क्षेत्र में फिल्म का प्रदर्शन निलंबित रहेगा।
जब फिल्म निर्माता के वकीलों ने कहा कि उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार प्रचार सामग्री से सभी आपत्तिजनक दृश्य हटा दिए हैं, तो अदालत ने इस दावे को खारिज कर दिया और कहा, “हमने आज सुबह फिल्म का टीज़र देखा और सभी दृश्य उसमें हैं।” इस पर
फिल्म निर्माता के वकीलों ने तर्क दिया कि यदि रिलीज पर रोक लगाई गई तो निर्माताओं को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “यदि टीजर इतना आपत्तिजनक है तो पूरी फिल्म का क्या होगा… प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि आप असफल रहे हैं, क्योंकि आपने स्वयं ही टीजर से दृश्य हटा दिए हैं।”