Lung Cancer Prevention: दुनियाभर में कैंसर से संबंधित मौतों का प्रमुख कारण फेफड़ों का कैंसर है। फिक्र की बात यह है कि पश्चिमी देशों की तुलना में भारतीयों को ये समस्या लगभग 10 साल पहले हो जाती है। क्योंकि दुनिया के 50 सबसे प्रदूषित शहरों में से 39 भारत में हैं। देश में औसतन 50 की उम्र में इसके मामले सामने आते हैं और 45 प्रतिशत मामले तब पकड़ में आते हैं जब कैंसर पूरे शरीर में फैल चुका होता है। ICMR यानी भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के मुताबिक फेफड़े के कैंसर के मामले 2025 तक 7 गुना होने का ख़तरा है।
फेफड़ों के कैंसर स्मोकिंग और तंबाकू के सेवन से होता है, लेकिन दूसरी वजहें भी हैं।
2019 में आई एक रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में फेफड़ों के कैंसर से मरने वाले 3 लाख लोग नॉन स्मोकर थे, जो स्मोकिंग कर रहे लोगों के संपर्क में रहते थे। ये सैकंडहैंड धुआं नॉनस्मोकर्स में फेफड़े के कैंसर के खतरे को 30 प्रतिशत तक बढ़ा देता है। विभिन्न अध्ययनों में यह बात भी सामने आई है कि यदि वातावरण में प्रदूषण के छोटे कण जैसे पीएम 2.5 की मात्रा एक घन मीटर में 10 माइक्रोग्राम भी बढ़ जाती है तो फेफड़ों के कैंसर होने का रिस्क या उससे होने वाली मौत 9 फ़ीसदी ज़्यादा हो जाता है।
वायु प्रदूषण के अलावा रेडॉन, एस्बेस्टस, यूरेनियम, डीजल, सिलिका, कोयला उत्पादों के संपर्क में अधिक रहना, पहले भी छाती पर विकिरण उपचार करवाने की हिस्ट्री( जैसे कि स्तन कैंसर या लिम्फोमा के लिए)।फेफड़े के कैंसर का पारिवारिक इतिहास जैसी वजहें भी लंग कैंसर उत्पन्न कर सकती हैं।फेफड़ों का कैंसर एडवांस स्टेज में पहुंचने के मुख्य लक्षण:
लंबे समय तक खांसी रहना, छाती में दर्द होना, सांस लेने में दिक्कत, खांसी में खून आना, हर समय थकान, बेवजह बॉडी वेट कम होना, भूख ना लगना, आवाज का बैठ जाना, सिर दर्द और हड्डियों में दर्द आदि।
बचाव के लिए आहार:
फिटनेस और न्यूट्रीशन के विशेषज्ञ फेफड़ों के कैंसर से बचाव के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाने की सलाह देते हैं। उनका कहना है कि रोज कम से कम दो फल जरूर खाएं। संतरा, आडू, पपीता, गाजर आदि में बीटा क्रिप्टोर्जेथिन पाया जाता हैं जो न फेफड़ों के कैंसर के खतरे को कम करता है व उसे तेजी से फैलने से भी रोकता है।
ब्रोकोली, फूलगोभी और पत्तागोभी में सल्फोराफेन होता है, जो सल्फर से भरपूर यौगिक है और माना जाता है कि यह भोजन में पाए जाने वाले सबसे शक्तिशाली कैंसर से लड़ने वाले पदार्थों में से एक है।
पालक, केल, ब्रोकली और रोमेन लेट्यूस सभी फोलेट के अच्छे स्रोत हैं, जो क्षतिग्रस्त कोशिकाओं की मरम्मत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और तंबाकू के कैंसरकारी तत्व कार्सिनोजेन्स से बचा सकता है।
कसरत:
सुबह ताजी हवा में सैर करने की आदत बनाएं और कसरत को अपने डेली रुटीन में शामिल करें।जब आप सुबह ताजी हवा में टहलते हैं तो हवा में उपलब्ध अधिक ऑक्सीजन फेफड़ों को फैलने में मदद करती है और सांस छोड़ते समय विषैले तत्व बाहर निकलते हैं। इससे फेफड़ों की सफाई होती है। अध्ययनों से सामने आया है कि नियमित कसरत आपके डीएनए को रिपेयर कर सकती है और कैंसर डीएनए में बदलाव के कारण होता है ऐसे में नियमित एक्सरसाइज से विभिन्न प्रकार के कैंसर का रिस्क कम हो जाता है।