Food Poisoning Prevention: पिछले दिनों “आवाज़ इंडिया” ने खबर दी थी कि नामचीन ऐक्ट्रेस जाह्नवी कपूर फूड पॉइजनिंग का शिकार हो गयी हैं और अस्पताल में एडमिट हैं। अब वे हास्पिटल से स्वस्थ होकर वापस आ गयी हैं। आखिर मानसून में ये समस्या होने का ख़तरा क्यों रहता है? दरअसल बरसात में हाई ह्युमेडिटी और टेंपरेचर का उतार-चढ़ाव हानिकारक बैक्टीरिया (साल्मोनेला, ई. कोली और स्टैफिलोकोकस ऑरियस), वायरस (नोरोवायरस और रोटावायरस जैसे वायरस) और अन्य रोगाणुओं के पनपने के लिए एक आदर्श वातावरण बनाता है। ये परजीवी खानपान को दूषित कर देते हैं और उस दूषित खान-पान के कारण लोग फूड पॉइजनिंग से ग्रस्त हो जाते हैं।
इसके अलावा मानसून में पानी के स्रोत दूषित होने से जिआर्डिया और एंटामोइबा हिस्टोलिटिका जैसे परजीवी अधिक पनपते हैं। फूड पॉइजनिंग के केस में पेटदर्द, मिचली, उल्टी, लूज मोशन, बुखार, मांसपेशियों में खिंचाव आदि तकलीफें बढ़ जाने पर तत्काल डॉक्टरी मदद लें। डॉक्टर मिचली, बुखार और लूज मोशन कंट्रोल करने के लिए दवा देगा। अगर उल्टी या लूज मोशन के कारण शरीर में पानी की ज्यादा कमी हो गई है तो डॉक्टर आईवी फ्लूड भी दे सकता है। ध्यान रहे, सेल्फ मेडिकेशन न करें। डॉक्टर को ही दिखाएं। सामान्य केसों में कुछ घरेलू उपाय सहायता कर सकते हैं। जैसे कि अदरक अपने एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के लिए जाना जाता है। यह मिचली और उल्टी को कम करने में मदद कर सकता है। अदरक की चाय पीना या कच्ची अदरक चबाना फायदेमंद हो सकता है।
- नींबू के जीवाणुरोधी और एंटीवायरल गुण शरीर में मौजूद रोगाणुओं से लड़ने में मदद कर सकते हैं। नींबू पानी या नींबू का रस पीने से पाचन और डिटॉक्सिफिकेशन में मदद मिल सकती है।
- डिहाइड्रेशन से बचने के लिए नमक-पानी का घोल या इलेक्ट्राल, एनरजाल भी ले सकते हैं।
- एप्पल साइडर विनेगर पेट के एसिड को संतुलित करने और सूजन को कम करने में मदद कर सकता है। एक गिलास पानी में एक चम्मच सेब का सिरका मिलाकर भोजन से पहले पीने से ठीक होने में मदद मिलती है।
- जीरे में रोगाणुरोधी गुण होते हैं और यह लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है। जीरे को पानी में उबालकर चाय बनाने से पेट की तकलीफ से राहत मिल सकती है।
- पोटेशियम से भरपूर केले शरीर के खोए हुए इलेक्ट्रोलाइट्स की पूर्ति और पाचन तंत्र को शांत करने में मदद कर सकते हैं। पके हुए केले खाना स्वस्थ होने के दौरान विशेष रूप से सहायक हो सकता है।
- दही में मौजूद प्रोबायोटिक्स आंत के लाभदायक बैक्टीरिया के प्राकृतिक संतुलन को बहाल करने में मदद करते हैं। ये बैक्टीरिया शरीर में पहुंचे नुकसानदायक बैक्टीरिया से लड़कर उनको खत्म करने और पाचन मे सहायक होते हैं। सादा, बिना मीठा दही खाने की सलाह दी जाती है।
फूड पॉइजनिंग को रोकने के लिए, विशेष रूप से मानसून के दौरान, सुरक्षित फूड मैनेजमेंट और हाईजीन को अपनाने की आवश्यकता होती है। हानिकारक बैक्टीरिया को मारने के लिए मांस, मुर्गी और समुद्री भोजन को निश्चित तापमान पर अच्छी तरह से पकाएं। हाईजीन की अच्छी आदतें डालें। शौचालय का उपयोग करने के बाद, भोजन को हाथ लगाने से पहले साबुन और पानी के साथ अच्छी तरह से हाथ धोएं।
जल्दी खराब होने वाले खाद्य पदार्थों को 4°C (40°F) या उससे कम तापमान पर रेफ़्रिजरेटर में रखें। खाने को लंबे समय तक बाहर न रखें, खास तौर पर गर्म और नमी वाली जगहों पर। उबला हुआ या फ़िल्टर किया हुआ पानी पीएँ। फलों और सब्जियों को धोने के लिए सुरक्षित पानी का उपयोग करें या पोटाशियम परमेगनेट से धोएं। स्ट्रीट फूड खाने से बचें। स्ट्रीट फूड अक्सर गंदी जगहों में तैयार किया जाता है। रसोईघर के प्लेटफार्म की सतहों, बर्तनों और कटिंग बोर्डों को साफ रखें। उन सतहों को कीटाणुरहित करें जो कच्चे मांस या समुद्री भोजन के संपर्क में आती हैं।