Rising Student Suicide Case: एक नई रिपोर्ट के अनुसार, भारत में छात्रों की आत्महत्या की घटनाओं में तेज़ी से वृद्धि हुई है और यह जनसंख्या वृद्धि दर और कुल आत्महत्या प्रवृत्तियों को पार कर गई है। बुधवार को वार्षिक आईसी 3 सम्मेलन और एक्सपो 2024 में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के आधार पर एक रिपोर्ट, “छात्र आत्महत्याएँ: भारत में फैलती महामारी” पेश की गई। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले दो दशकों में छात्रों की आत्महत्या की दर 4 प्रतिशत की “खतरनाक” वार्षिक दर से बढ़ी है, जो राष्ट्रीय औसत से दोगुनी है। यह रिपोर्ट आईसी 3 संस्थान द्वारा संकलित की गई है।
एनसीआरबी के आंकड़ों पर आधारित रिपोर्ट से पता चला है कि महाराष्ट्र में सबसे अधिक 1,834 छात्र आत्महत्याएं हुईं, इसके बाद मध्य प्रदेश में 1,308, तमिलनाडु में 1,246, कर्नाटक में 855 तथा ओडिशा में 834 छात्र आत्महत्याएं हुईं। दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश में छात्रों की आत्महत्या के मामलों का प्रतिशत तुलनात्मक रूप से कम रहा, जो कि देश भर में कुल का केवल 5.3% था। यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि उत्तर प्रदेश की जनसंख्या देश की 17.3% है।
🚨 Student suicides in India are rising at a disturbing rate, far outpacing both population growth and overall suicide trends in 2024. (NCRB) pic.twitter.com/dbQLKnY5V4
— Indian Tech & Infra (@IndianTechGuide) August 29, 2024
अब समय आ गया है कि परिवार, समाज और देश को इस बहुत ही परेशान करने वाले सवाल का जवाब तलाशना शुरू कर देना चाहिए। अगर शिक्षा प्रणाली हाथी, हिरण, शेर, भालू, कछुआ और घोड़े को एक ही रेसिंग ट्रैक पर खड़ा कर दे और फिर उनकी दौड़ने की गति के आधार पर उनका मूल्यांकन करे, तो यकीनन उनमें से कई लोग अपने जीवन में हारा हुआ महसूस करने लगेंगे।भारत में बिल्कुल यही हो रहा है। पूरी शिक्षा प्रणाली ग्रेड पाने, नौकरी के लिए परीक्षा उत्तीर्ण करने और खुद को विजेता साबित करने के बारे में है। ऐसा लगता है कि बच्चों को उनके माता-पिता की अधूरी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए जन्म दिया जा रहा है।
